Thursday, September 11, 2008

अपरिचित

तुमसे परिचय
जैंसे नन्ही सी चिड़िया ने आँख खोली
पल भर चहचहाई
और फिर
फुर्र का उड़ गयी
लगा ---
वसंत लौट आया.
जिनसे सीपियों ने ली अंगड़ाई
मोतियों ने खोले अपने पंख
और बिखेर दिए
लहरों पर अनेक इन्द्रधनुष.
जैंसे परियों कि बरात
नन्ही-सी बिटिया कि हंसी
कलियों का इठलाना
सावन का बहकाना
अनछुवे पलों का महकना
और कमसिन सपनों का लजाना
और .... और .... और ....

सच कितनी सहज हो तुम
फिर भी क्यों हो
अभी तक मेरे लिए अपरिचित.

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