मेरी दो कविता संग्रहों 'कैनवास से बाहर झाँकती लड़की' और 'तटस्थ नहीं मैं' का
कोयल बिस्वास द्वारा किए गए अंग्रेजी अनुवाद सहित लोकार्पण।
आप सादर आमंत्रित हैं।
हिंदी भाषा और साहित्य को समर्पित
ऐ दोस्त!
चाहता हूं तुम भोले ही रहो -
उन तितलियों की तरह
जो फूलों की रंगीनियों से बुन लेती हैं
अपने परों को
उन नन्हें पंछियों की तरह
जिन्हें सुरों की पहचान नहीं
फिर भी उनकी किलकारियां
सहेज लेती हैं नए राग
उन छोटे बादलों की तरह
जो सूरज को छिपा लेते हैं
पल भर को अपने अंक में
और फिर हंसकर, तालियाँ बजाकर
अगले पल उन्हें छोड़ देते हैं.
तुम्हारा यही भोलापन मुझे भाता है
जब वह हँसता है
तब मेरे भीतर लहरा जाती है
रौशनी की नदी
हौले-हौले
झरनों से बहते संगीत की तरह.
दोस्त, तुम ऐंसे ही रहना
आँगन की धरती पर
घुटनों के बल डगमगाकर चलते
बचपन की तरह.
ऐ दोस्त!
तुम भोले ही रहना.